Considerations To Know About hindi story
Considerations To Know About hindi story
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The novel touches upon themes of gender discrimination, dowry, plus the struggles confronted by Females inside a male-dominated Modern society. Premchand’s writing is characterised by its deep comprehension of human mother nature as well as socio-cultural backdrop of his time. By way of Nirmala, he sheds light-weight to the injustices faced by Gals and raises significant questions about morality, social conventions, and the necessity for societal reform.
एक लाठी निकाली और कालिया की मरम्मत कर दी।
(एक) "किरन! तुम्हारे कानों में क्या है?" उसके कानों से चंचल लट को हटाकर कहा—"कँगना।" "अरे! कानों में कँगना?" सचमुच दो कंगन कानों को घेरकर बैठे थे। "हाँ, तब कहाँ पहनूँ?
यह बच्चों के लिए एक दक्षिण भारतीय लोक कथा है
मरने के पहले पागल बिशन सिंह की गाली, भारत और पाकिस्तान के लहूलुहान बंटवारे पर एक ऐसी टिप्पणी बन जाती है, जो अब विश्व कथा साहित्य में एक गहरी, मार्मिक, अविस्मरणीय मनुष्यता की चीख़ के रूप में हमेशा के लिए उपस्थित है :
फिर भी आपने उसको अपने हाथ से बचाया। आप ऐसा क्यों कर रहे थे ?
Image: Courtesy Amazon This is the assumed-provoking novel written by Kamleshwar, a renowned Indian writer. At first revealed in Hindi, the novel delves into your complex material of India’s social and political landscape over the tumultuous period of partition in 1947. Kamleshwar weaves a narrative that explores the effect of partition over the life of regular people today plus the deep-rooted scars it left to the country’s collective psyche.
कालिया ने शेरू को रोटी खाता हुआ देख जोर से झटका और रोटी लेकर भाग गया।
मंदिर के बाहर कुछ लड़कों ने उसे पकड़ लिया।
एक दिन सब से बड़ा भाई ने सावत्री को जानबूझकर एक छोटी सी रस्सी और छेद वाले घड़े में पानी लेने कुँए पर भेजा और समय पर न आने पर दंड देने की धमकी भी दी। कुँए पर पहुंच कर सावित्री रोने लगी। वहां एक सांप और मेंढक रहते थे जो सावित्री का रोआ सुन कर बहार आ गए.
(एक) बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की ज़बान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बंबूकार्ट वालों की बोली का मरहम लगावें। जब बड़े-बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ चाबुक से धुनते हुए, इक्के वाले चंद्रधर शर्मा गुलेरी
Picture: Courtesy Amazon A enjoy story motivated from the Sikh riots of 1984, this Hindi fiction ebook is about its protagonist Rishi, who results in being a rioter himself even though preserving a Sikh spouse and children from riots. To know how love survives and trumps most difficult conditions, 1 has to operate from adore with the Main of his remaining. The story starts off with how Rishi, an orphan, and his landlord Mr. Chhabra’s daughter Manu.
क्रोध और click here वेदना के कारण उसकी वाणी में गहरी तलख़ी आ गई थी और वह बात-बात में चिनचिना उठता था। यदि उस समय गोपी न आ जाता, तो संभव था कि वह किसी बच्चे को पीट कर अपने दिल का ग़ुबार निकालता। गोपी ने आ कर दूर से ही पुकारा—“साहब सलाम भाई रहमान। कहो क्या बना रहे विष्णु प्रभाकर
एक दिन मृगनैनी अपने मां के साथ घूम रही थी, तभी दो गीदड़ आ गए।